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प्रधानमंत्री ने 11,581 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश को कीं समर्पित

धानमंत्री ने मण्डी से वर्चुअल माध्यम से हिमाचल प्रदेश पावर काॅरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) द्वारा 2082 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 111 मेगावाट क्षमता की सावड़ा कुड्डू जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण किया। शिमला जिले में पब्बर नदी पर प्रसिद्ध हाटकोटी मंदिर के समीप निर्मित इस परियोजना से प्रतिवर्ष 386 करोड़ यूनिट विद्युत उत्पादन होगा और एचपीपीसीएल के माध्यम से राज्य को लगभग 120 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त होगा। उन्होंने सिरमौर जिले में गिरी नदी पर 7000 करोड़ रुपये के रेणुका जी बांध और हमीरपुर व कांगड़ा जिले में ब्यास नदी पर बनने वाले भारत सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम 66 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना की आधारशिला भी रखी। सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित की जा रही इस परियोजना को 688 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने शिमला और कुल्लू जिलों में सतलुज नदी पर 1811 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली 210 मेगावाट क्षमता की लुहरी स्टेज-1 जल विद्युत परियोजना का शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के साथ उनके भावनात्मक संबंध हैं। उन्होंने राज्य सरकार को चार साल का महत्वपूर्ण कार्यकाल पूर्ण करने के लिए भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस डबल इंजन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि महामारी के दौरान भी विकास की गति निर्बाध रूप से चलती रहे। उन्होंने कोविड-19 महामारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य में शत-प्रतिशत पात्र आबादी का टीकाकरण राज्य सरकार के समर्पित और प्रतिबद्ध प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि राज्य को वर्तमान सरकार के कार्यकाल में एम्स, अटल टनल और चार चिकित्सा महाविद्यालय प्राप्त हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोगों के लिए जीवन की सुगमता सबसे प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है और इसमें बिजली बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। आज शुरू की गई जल-विद्युत परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गिरी नदी पर बन रही श्री रेणुकाजी बांध परियोजना जब पूरी हो जाएगी तो एक बड़े क्षेत्र को इससे सीधा लाभ होगा। इस प्रोजेक्ट से जो भी आय होगी उसका भी एक बड़ा हिस्सा यहीं के विकास पर खर्च होगा।
  
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प्रधानमंत्री ने नए भारत की बदली हुई कार्यशैली को दोहराया। पर्यावरण लक्ष्यों से जुड़े कार्यों की रफ्तार पर बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने 2016 में ये लक्ष्य रखा था कि वो साल 2030 तक, अपनी कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत, गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से पूरा करेगा। आज हर भारतीय को इसका गर्व होगा कि भारत ने अपना ये लक्ष्य, इस साल नवंबर में ही प्राप्त कर लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा देश जिस प्रकार से पर्यावरण को बचाते हुए विकास को गति दे रहा है, उसकी विश्वभर में प्रशंसा हो रही है।
सोलर पावर से लेकर हाइड्रो पावर तक, पवन ऊर्जा से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, देश रिन्यूएबल एनर्जी कहर संसाधन को पूरी तरह    इस्तेमाल करने के लिए निरंतर काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उन्मूलन के विषय पर कहा कि पहाड़ों को प्लास्टिक की वजह से जो नुकसान हो रहा है, हमारी सरकार उसे लेकर भी सतर्क है। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशव्यापी अभियान के साथ ही हमारी सरकार, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर भी काम कर रही है। व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि हिमाचल को स्वच्छ रखने में प्लास्टिक और अन्य कचरे से मुक्त रखने में पर्यटकों का भी दायित्व बहुत बड़ा है। इधर-उधर फैला प्लास्टिक, नदियों में जाता प्लास्टिक, हिमाचल को जो नुकसान पहुंचा रहा है, उसे रोकने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।
प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में दवा क्षेत्र के विकास की सराहना करते हुए कहा कि यदि भारत को आज दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है, तो इसके पीछे हिमाचल की बहुत बड़ी ताकत है। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान हिमाचल प्रदेश ने ना सिर्फ दूसरे राज्यों, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद की है।
राज्य के शानदार प्रदर्शन के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल ने अपनी पूरी वयस्क जनसंख्या को वैक्सीन देने में सबसे बाजी मार ली। यहां जो सरकार में हैं, वो राजनीतिक स्वार्थ में डूबे नहीं बल्कि उन्होंने पूरा ध्यान, हिमाचल के एक-एक नागरिक को वैक्सीन कैसे मिले, इसमें लगाया है।
इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी स्थल का दौरा किया और प्रदर्शनी में गहरी रूची दिखाई।

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