
निर्यात पर बैन के बाद देशभर के बंदरगाहों पर फंसा 10 लाख टन चावल,निर्यात शुल्क नहीं देना चाहते खरीदार
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा चावल निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विदेशी चावल खरीदारों ने अतिरिक्त शुल्क चुकाने से मना कर दिया है। इससे बंदरगाहों पर 10 लाख टन चावल फंस गया हैं। पिछले दिनों सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध के साथ ही 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क चुकाने का भी नियम लगा दिया था। दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक देश भारत के रोक लगाने के बाद अब पड़ोसी देशों सहित दुनियाभर के चावल आयातक देशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह रोक मानसून की बारिश कम होने और घरेलू बाजार में सप्लाई में कमी आने से रोकने के लिए लगाई गई है।
भारत हर महीने करीब 20 लाख टन चावल का निर्यात करता है। इसमें सबसे ज्यादा लोडिंग आंध्र प्रदेश के कनिकड़ा और विशाखापट्टन बंदरगाह से होती है। बंदरगाहों पर फंसे चावल का निर्यात चीन, सेनेगल, संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की को होना था। इसमें सबसे ज्यादा शिपमेंट टूटे चावल का था।दरसल रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ग्लोबल मार्केट में चावल, गेहूं सहित अन्य कमोडिटी की कीमतों में उछाल जारी है। इस साल मानसून की बारिश कम होने घरेलू बाजार में भी धान की पैदावार कम होने का अनुमान है, जिससे आगे कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे बचने के लिए सरकार ने चावल निर्यात पर रोक लगा दी है।
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